वाक्य विचार
वाक्य – ऐसा सार्थक शब्द समूह है जो व्यवस्थित क्रम में हो तथा वक्ता के पूरे आशय को प्रकट करता हो, वाक्य कहलाता है ।
वाक्य में निम्नलिखित 6 तत्व अनिवार्य है
- सार्थकता
- योग्यता (क्षमता)
- आकांक्षा
- निकटता
- पद क्रम
- अन्वय
वाक्य का कुछ ना कुछ अर्थ अवश्य होता है अतः उसमें सार्थक शब्दों का ही प्रयोग होता है वाक्य में निरर्थक शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए ।
1.सार्थकता- वाक्य का कुछ न कुछ अर्थ अवश्य होता हैं अत: इसमें सार्थक शब्दों का ही प्रयोग होता हैं वाक्य में निरर्थक शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए
2.योग्यता-
वाक्य में प्रयुक्त शब्दों में प्रश्न के अनुसार अपेक्षित अर्थ प्रकट करने की योग्यता होनी चाहिए | जैसे – मोहन चाय खाता है | इस वाक्य में अर्थ देने की योग्यता नहीं है, क्योंकि चाय खाई नहीं बल्कि पी जाती है ।
3.आकांक्षा
आकांक्षा का अर्थ है ‘इच्छा’ । वाक्य अपने आप में पूरा होना चाहिए उसमें किसी ऐसे शब्द की कमी नहीं होनी चाहिए जिससे अर्थ की अभिव्यक्ति में अधूरापन लगे ।
जैसे – पत्र लिखता है । इस वाक्य में क्रिया के कर्ता को जानने की इच्छा होगी | अत: पूर्ण वाक्य इस प्रकार होगा – राम पत्र लिखता हैं
4. असत्त्ति या निकटता –
बोलते समय व लिखते समय वाक्य के शब्दों में परस्पर निकटता का होना बहुत आवश्यक है, रुक-रुक कर बोले या लिखे हुए शब्द वाक्य नहीं बनाते । अतः वाक्य के पद निरंतर प्रभाव में पास पास बोले या लिखे जाने चाहिए ।
5.पदक्रम –
वाक्य में पदों का एक निश्चित क्रम होना चाहिए अथार्थ पहले कर्ता, फिर कर्म व अंत में क्रिया होनी चाहिए । जैसे फोन भूल गए घर पर आप आज। इस वाक्य में पदों का क्रम व्यवस्थित ना होने से उसे वाक्य नहीं मानेंगे इसे इस प्रकार होना चाहिए आज आप घर पर फोन भूल गए ।
6.अन्वय
अन्वय का अर्थ है मेल वाक्य में लिंग वचन पुरुष, काल, कारक आदि का क्रिया के साथ ठीक -ठीक मेल होना चाहिए ।
जैसे- राम और श्याम गई । इस वाक्य में कर्ता और क्रिया का अनुभव ठीक नहीं है । अतः शुद्ध वाक्य होगा राम और श्याम गए ।
वाक्य के अंग –
वाक्य के दो अंग है
वाक्य के दो अंग है
- उद्देश्य
- विधेय
1. उद्देश्य –
जिसके बारे में कुछ बताया जाता है उसे उद्देश्य कहते हैं अथार्थ वाक्य में ‘कर्ता’ ही उद्देश्य होता है।
कर्ता का विस्तार भी इसी क्रम में होता है |
जैसे-
जैसे-
- अनुराग क्रिकेट खेलता है |
- सचिन दौड़ता है |
इन वाक्यों में ‘अनुराग’ और ‘सचिन’ के विषय में बताया गया है अतः यह उद्देश्य है इसके अंतर्गत कर्ता और कर्ता का विस्तार आता है ।
जैसे” परिश्रम करने वाला व्यक्ति सदा सफल होता है”
इस वाक्य में कर्ता (व्यक्ति) का विस्तार “परिश्रम करने वाला है”
विधेय-
वाक्य में जिस भाग में उद्देश्य के बारे में कुछ कहा जाता है उसे विधेय हैं विधेय के विस्तार के अंतर्गत वाक्य के कर्ता (उद्देश्य) को अलग करने के बाद वाक्य में जो कुछ भी शेष रहता है, वह विधेय कहलाता है जैसे “लंबे- लंबे बालों वाली लड़की अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुई उधर गई”
इस वाक्य में “अभी-अभी एक बच्चे के साथ दौड़ते हुई उधर गई।” विधेय का विस्तार है
तथा ‘लंबे लंबे बालों वाली’ उद्देश्य का विस्तार है तथा ‘लड़की’ उद्देश्य है ।
वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के भेद
अर्थ के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित 8 भेद हैं ।
- विधान वाचक / विधनार्थक वाक्य
- निषेधवाचक
- आज्ञा वाचक
- प्रश्नवाचक /प्रश्नार्थक
- इच्छा वाचक /इच्छार्थक
- सन्देहवाचक
- विस्मयवाचक
- संकेतवाचक
विधनार्थक वाक्य – जिन वाक्य में क्रिया के करने या होने की सूचना मिले, उन्हें विधानवाचक वाक्य कहते हैं । इन्हें सकारात्मक वाक्य भी कहते हैं ।
जैसे –
- मैंने दूध पिया ।
- वर्षा हो रही है ।
- राम लिख रहा है ।
2. निषेधवाचक – जिन वाक्यों से कार्य ना होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं | इन्हें नकारात्मक वाक्य भी कहते हैं ।
- जैसे मैंने खाना नहीं खाया ।
- तुम मत पढ़ो ।
इसमें ‘नहीं’ व ‘मत‘ शब्दों का प्रयोग होता है।
3. – आज्ञावाचक जिन वाक्यों से आज्ञा प्रार्थना उपदेश आदि का ज्ञान होता है । उन्हें आज्ञा वाचक वाक्य कहते हैं ।
- बाजार जाकर फल ले आओ ।
- मोहन तुम बैठ कर पढ़ो ।
- बड़ों का सम्मान करो ।
4. प्रश्नवाचक –
जिन वाक्यों से किसी प्रकार का प्रश्न पूछने का ज्ञान होता है उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैं ।
- सीता तुम कहां से आ रही हो ?
- तुम क्या पढ़ रही हो ?
- रमेश कहां जाएगा ?
5.इच्छावाचक / इच्छार्थक वाक्य – जिन वाक्यों से इच्छा,आशीष, शुभकामनाएं आदि का ज्ञान होता है उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे
- तुम्हारा कल्याण हो ।
- आज तो मैं केवल फल खाऊंगा ।
- भगवान तुम्हें लंबी उम्र दे ।
6. संदेहवाचक– जिन वाक्यों से संदेश संभावना व्यक्त होती है उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं इन्हें हेतुवाचक वाक्य भी कहते हैं ।
जैसे
- शायद शाम को वर्षा हो जाए ।
- वह घर आ रहा हो पर हमें क्या मालूम ।
- हो सकता है राजेश आ जाए ।
7. विस्मयवाचक:-
जिन वाक्यों से आश्चर्य,घृणा, क्रोध, शोक, हर्ष, इत्यादि भावो की अभिव्यक्ति होती हैं । इन्हें विस्मयवाचक वाक्य कहते हैं ।
जैसे
- हाय ! उसके माता-पिता दोनों ही चल बसे
- शाबाश ! तुमने बहुत अच्छा काम किया ।
8.- संकेतवाचक :- जिन वाक्यों में एक क्रिया का होना दूसरी किया पर निर्भर होता है । इन्हें हेतुवाचक भी कहते हैं । इसमें कारण या शर्त का बोध होता है
जैसे
- यदि परिश्रम करोगे तो अवश्य सफल होंगे ।
- पिताजी अभी आते तो अच्छा होता ।
- अगर वर्षा अच्छी होती तो फसल भी अच्छी होगी ।
रचना के आधार पर वाक्य के भेद
रचना के आधार पर वाक्य के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं
- सरल/ साधारण वाक्य
- संयुक्त वाक्य
- मिश्रित /मिश्र वाक्य
1.सरल साधारण – जिन वाक्यों में केवल एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय होता है, उन्हें सरल वाक्य या धारण वाक्य करते हैं इन वाक्यों में एक ही क्रिया होती है ।
जैसे
- शिल्पा पढ़ती है।
- मैं दिल्ली में रहने वाले अपने एक मित्र से मिला था।
- लता मंगेशकर की बहन आशा भोसले ने पांचों गायन में अपार ख्याति अर्जित की है ।
संयुक्त वाक्य :
जिन वाक्य में दो या दो से अधिक सरल वाक्य समुच्चयबोधक अवयवों से जुड़े हो उन्हें संयुक्त वाक्य कहते हैं ।
- जैसे वह सुबह गया और शाम को लौट आया ।
- प्रिय बोलो पर असत्य नहीं ।
- उसने परिश्रम तो बहुत किया किंतु सफलता नहीं मिली ।
प्रमुख योजक अव्यय शब्द – और, या,तथा,एवं, पर,परंतु,किंतु,मगर, बल्कि, इसलिए आदि ।
मिश्रित/ मिश्र वाक्य –
जिन वाक्यों में एक मुख्य या प्रधान वाक्य हो और एक या एकाधिक आश्रित उपवाक्य हो , उन्हें मिश्रित वाक्य कहते हैं जैसे
- ज्यो ही उसने दवा पी वह सो गया
- यदि परिश्रम करोगे तो उतीर्ण हो जाओगे ।
- मैं जानता हूं कि तुम्हारे अक्षर अच्छे नहीं बनते ।
आश्रित उपवाक्य तीन प्रकार के होते हैं
- संज्ञा उपवाक्य
- विशेषण उपवाक्य
- क्रिया विशेषण उपवाक्य
1.संज्ञा उपवाक्य – जो आश्रित उपवाक्य प्रधान वाक्य की क्रिया के कर्ता, कर्म अथवा पूरक के रूप में प्रयुक्त हो उसे संज्ञा उपवाक्य कहते हैं यह उपवाक्य ‘कि‘ से प्रारंभ होते हैं ।
- जैसे मैं जानता हूं कि मोहन बहुत इमानदार है ।
- उसका विचार है कि कृष्ण सच्चा आदमी है ।
- पूनम ने कहा कि उसका भाई पटना गया।
2.विशेषण उपवाक्य – जब कोई आश्रित उपवाक्य प्रधान वाक्य की संज्ञा पद की विशेषता बताते हैं उन्हें विशेषण उपवाक्य कहते हैं ।
जैसे
- मैंने एक व्यक्ति को देखा जो बहुत मोटा था ।
- वे फल कहां है जिनको आप लाए थे ।
इन वाक्यों में मोटे अक्षरों वाले अंश विशेषण उपवाक्य है विशेषण उपवाक्य का प्रारंभ जो, जब, जिसने, जिसको, जिनको, आदि से होता है ।
3.क्रिया विशेषण उपवाक्य–
जो आश्रित उपवाक्य प्रधान उपवाक्य की क्रिया की विशेषता बताते हैं उसे क्रिया विशेषण उपवाक्य कहते हैं | यह उपवाक्य ताकि, क्योंकि, यदि तो, जो, सो, जब -तक, यहाँ, वहाँ, इत्यादि से प्रारंभ होते हैं ।
जैसे
- जब वर्षा हो रही थी, तब मैं कमरे में था ।
- जहां जहां वे गए, वहाँ उनका स्वागत हुआ ।
- मैं वैसे ही आता हूं जैसे रमेश जाता है ।
- यदि मैंने परिश्रम किया तो अवश्य सफल होता ।
गुरुजी रीट की अप्रोच के तहत ही नोट्स दाल,न ज्यादा न कम🙏
जल्द सँस्कृत की क्विज सुरु कर दो🙏
जल्द सँस्कृत की क्विज सुरु कर दो🙏
Sir pdf dala karo topic ki
सर अपने अनुसार जो तुमको उचित लगे वेसा ही मैटर देना
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